*शिव पार्वती संवाद का सुंदर वर्णन, शिव तांडव नृत्य ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया*

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      * चंद्रपूर*

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चंद्रपूर /दुर्गापुर- श्रीलखमापुर हनुमान मंदिर सेवा समिति तथा श्रीजलाराम सेवा मंडल चंद्रपुर के संयुक्त तत्वावधान में लखमापुर मंदिर में हो रहा श्रीराम कथा का सोमवार को तीसरा दिन था। कथाकार नरेशभाई राज्यगुरु ने अपनी मधुर वाणी से कहा कि जिसके पास जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है। ऐसा सोचकर आगे बढ़ना चाहिए। चिता और चिंता में काफी अंतर है। चिंता जिंदा आदमी को जलाता है जबकि चिता मृत शरीर को जलाता है।

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सत्य के संग को सत्संग कहा जाता है। कथाकार भगवान और भक्त के तार को जोड़ता है। राज्यगुरु महाराज ने बताया कि ब्राह्मणों का चोटी, धोती और पोथी तीन गाँठ होता है। शिष्य भाव प्रकट कर के ही सीखा जा सकता है। धर्म में दिल खोलकर जुड़ना चाहिए। धर्म बढ़ें तो धन बढ़ें, धन बढ़ें तो मन बढ़ें। धर्म पर अपनी आमदनी का 10 प्रतिशत खर्च करना चाहिए।
धर्म को सुचारू रूप से चलाने के लिए चार चरण सत्य, शौच, दया और तप होता है। कथा पूरे मनयोग से सुनना चाहिए। इससे चंचल मन शांत होता है। मन को स्थिर करने के लिए सत्संग जरूरी है। सत्संग से कथाकार और कथा सुननेवाला दोनों का उद्धार होता है। सत्संग सुनने से पापी भी मुक्ति पा सकता है। भगवान अपना अपमान सह सकते हैं परंतु भक्त का अपमान बिल्कुल बर्दास्त नहीं करते हैं।
कथाकार राज्यगुरु ने श्रद्धालुओं को बताया कि देश 16 संस्कारों से चलें तो भारत पुनः सोने का चिड़िया बन सकता है। धर्म की खेती इंसान करें तो आज भी सीता रूपी भक्ति पैदा हो सकता है। मनुष्य विचारों का पुतला है। जैसा विचार करता है मनुष्य वैसा ही बनता है। दान हँसते-हँसते करें जबकि भक्ति रोते-रोते करना चाहिए। कथा सिर्फ धरती पर शुलभ है।

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*सती ने राम का परीक्षा लिया*

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सीता हरण के बाद राम और लक्ष्मण रोते बिलखते वन में भटक रहे थे तभी शिव और सती की नजर उनपर पड़ी। शिव सब समझ रहे थे कि इष्ट देव राम मनुष्य के रूप में लीला कर रहे हैं। शिव ने हंसते हुए अपने इष्ट देव राम को अभिवादन किया। सती को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई कि मेरे पति शिव अपनी पत्नी के लिए रोते बिलखते वनवासी को अभिवादन करें। माँ सती को यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वनवासी राम के अवतार में हैं। परीक्षा लेने के लिए उन्होंने सीता के वेश बनाकर उनके आगे आगे चलने लगी। सीता कभी भी राम के पीछे ही चला करती थी। श्रीराम ने असानी से माँ सती को पहचान कर उन्हें अभीवादन किया। राम ने कहा माता अकेली ही आयी हो या हमारे इष्टदेव महादेव को भी साथ लायी हो ?

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*हंसराज अहीर ने रामकथा को दी भेंट* 

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पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज अहीर ने रामकथा को भेंट दी। कुछ समय तक कथा सुना। पोथी का दर्शन किये। समिति की तरफ से उन्हें स्वागत किया गया। इस अवसर पर अहीर ने कहा कि भारत मंदिरों, गुरुद्वारों और दीक्षा भूमि का देश है। राम कथा, शिवपुराण, गीतापाठ और भागवत कथा होते रहना चाहिए। यह सिर्फ धार्मिक ही नहीं अपितु सांस्कृतिक और राष्ट्रीय कार्य भी है। अहीर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर बनवाने जैसे पवित्र काम कर रहे हैं।

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*शिव पार्वती झाँकी और शिव तांडव नृत्य*

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शिव पार्वती की सुंदर झांकी निकाली गई। जिन्हें दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ सी लग गई थी। इस अवसर पर 15 युवतियों व बच्चीयों ने एक खास वेश भूषा में शिव तांडव नृत्य की। नृत्य के दौरान बच्चियों शिव, पार्वती और कुछ नंदी बनी हुई थी। कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं पहुंच रहे हैं।

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श्रीराम कथा 23 दिसंबर तक दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक चलेगा जबकि अंतिम दिन 24 दिसंबर को सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक श्रीराम कथा होगा। उसके बाद उसी दिन 1 बजे से भव्य महाप्रसाद का आयोजन होगा।

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*”हँलो चांदा न्यूज “, करिता जिल्हा प्रतिनिधी, राजूरा गढ़ चांदूर तालुका प्रतिनिधींची नियुक्ती करणे आहे. इच्छुक प्रतिनिधीने संपर्क साधावा.*

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संपादक :- शशि ठक्कर , 9881277793
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