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चंद्रपुर /दुर्गापुर- श्रीलखमापुर हनुमान मंदिर सेवा समिति तथा श्रीजलाराम सेवा मंडल चंद्रपुर के संयुक्त तत्वावधान में लखमापुर मंदिर में हो रहा श्रीराम कथा का रविवार को दूसरा दिन था। कथाकार नरेशभाई राज्यगुरु ने अपनी मधुर वाणी से कथा सुनाते हुए कहा कि सत्संग द्वारा मनुष्य का चंचल मन निर्मल हो जाता है। श्रीराम कथा ने जीवन का सिद्धांत सिखाया है।
हरि और हर में कोई फर्क नहीं है। श्रीराम और देवों के देव महादेव एक दूसरे को इष्टदेव मानते हैं। यह उनका बड़प्पन है। कथाकार राज्यगुरु ने बताया कि आहार, भय, निद्रा और मैथुन यह चार बातें मनुष्यों और पशुओं में सामान रूप से है। लेकिन धर्म कार्य सिर्फ मनुष्य ही कर सकता है।
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नमन, प्रणाम और वंदन का अर्थ भी बताया गया।परमात्मा पकट होता है जबकि मनुष्य जन्म लेता है। भगवान को याद करोंगे तो वे आप पर दया करेंगे। सद्धगुरु और वेद ग्रन्थ हमें मार्गदर्शन करता है। शक्ति है तभी दिन और रात होता है। शक्ति है तभी हवा चलता है।
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आधि, व्याधि और उपाधि
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कथाकार राज्यगुरु ने आधि, व्याधि और उपाधि का कुछ यूं अर्थ बताया। आधि का मतलब अभाव से है। किसी के पास भोजन कपड़ा की कमी है तो उसे आधि कहते हैं। व्याधि का अर्थ तकलीफ और बीमारी से है। उपाधि का अर्थ संतान से जोड़ते हुए राज्यगुरु ने बताया कि अगर संतान पिता की बात नही सुनता है तो वह उपाधि है।
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माँ बेटे का संबंध निस्वार्थ होता है। ग्रंथ और सद्धगुरु हमें मार्गदर्शन करता है। मेला में अकेला है और अकेला में मेला है, यह एक बहुत बड़ा सूत्र है। इसे समझने की जरूरत है।
सात श्लोक की तरह ही तुलसीदास महाराज ने रामचरित मानस में सात कांड बनाया है। बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड जिसे उद्धार कांड भी कहा जाता है, सुंदर कांड, लंका कांड और उत्तर कांड जिसे ज्ञान कांड भी कहा जाता है।
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संपत्ति और विपत्ति
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कथाकार राज्यगुरु ने अपने कथा में बताया कि एक बार श्रीराम ने अपने प्रिय भक्त हनुमान से पूछा कि तुम्हारे लिए संपत्ति और विपत्ति क्या है? श्री हनुमान ने बड़ा ही प्यारा उत्तर दिया। मेरे मुख से सदैव आपके नाम निकलती रहे यह मेरी संपत्ति है और मेरे मुख से आपके नाम ना निकले तो यह मेरी विपत्ति है।
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सुंदर झाँकी
प्रथम पुज्य श्रीगणेश जी और महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का झाँकी निकाली गई। जिसे श्रद्धालुओं ने खूब पसंद किया। रामकथा मंडप में श्रद्धालुओं का खूब भीड़ जुट रही है। समिति ने प्रतिदिन श्रद्धालुओं को रामकथा सुनने आने के लिए अपील की है।
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श्रीराम कथा 23 दिसंबर तक दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक जबकि अंतिम दिन 24 दिसंबर को सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक श्रीराम कथा होगा। उसके बाद उसी दिन 1 बजे से भव्य महाप्रसाद का आयोजन होगा।
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