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*हर्ष जहाँ है वहां शोक है*
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*राम व भाइयों की निकली झाँकी*
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चंद्रपुर /दुर्गापुर- श्रीलखमापुर हनुमान मंदिर सेवा समिति तथा श्रीजलाराम सेवा मंडल चंद्रपुर के संयुक्त तत्वावधान में श्रीलखमापुर मंदिर में हो रहा श्रीराम कथा का बुधवार को पांचवाँ दिन था। कथाकार नरेशभाई राज्यगुरु ने अपनी मधुर वाणी से कथा सुनाते हुए कहा कि भक्ति में शक्ति है। पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार होता है। तुलसीदास बाबा ने तीन भूमि की बात लिखते हैं। अयोध्या भूमि जो रजोगुण के प्रतीक है, जनकपुर भूमि सत्व गुण के और लंका भूमि तमोगुण के लिए जाना जाता है। कुटिल मंथरा के कारण अयोध्या को रजोगुण भूमि कहा गया।
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राज्यगुरु महाराज ने संतों के लक्षण के बारे में बताते है कि उनमें सहनशीलता होनी चाहिए। मखन की भांति कोमल होना चाहिए। सभी जीवों के प्रति भला करने का भाव हो। जिनके कोई शत्रु ना हो। जो शांत हो, वही संत है। वे आगे बताते हैं। हर्ष जहां है वहाँ शोक है और सुख जहां है वहां दुख है। मन भौरा की तरह होता है। मन में चंचलता होता है।
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दशरथ की तीन रानियाँ थी। पहली रानी कैकयी ज्ञान कांड के प्रतीक, दूसरी रानी कौशल्या कर्मकांड जबकि तीसरी रानी सुमित्रा उपासना के प्रतीक थी। कथाकार राज्य गुरु ने बताया कि रामजन्म के बाद बाल रूप राम का दर्शन करने के लिए देवों का देव महादेव कैलाश से अयोध्या पहुँचते हैं। वहां ज्योतिष के भेष में महादेव अपने इष्ट देव का बाल रूप में देखते ही खुशी से नाचने लगते हैं।
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पूर्वजों में इतनी क्षमता है कि जो भगवान नहीं दे सकते वे हमारे पूर्वज दे सकते हैं। भक्ति करों तो रोते रोते करो और दान करों तो हंसते हंसते करो।
राज्यगुरु ने रामजन्म का कथा सुनाते हुए कहा कि प्रभु श्री राम जन्म के समय श्रद्धालुओं को दिक्कत ना हो, इसलिए सूर्य ने एक महीना तक सूर्यास्त ही नहीं होने दिया। राम सूर्य वंश के है। इसलिये भी सूर्य ने अपने वंश की खुशियां बढ़ाने के लिए कई दिनों तक सूर्यास्त नहीं होने दिया। इससे चंद्रमा नाराज हो गए। करूणा निदान श्रीराम ने चन्द्रमा को मनाते हुए कहा कि नाराज मत हो। द्वापर युग मे मैं चंद्रवंश में जन्म लूँगा। चंद्रमा ने कहा कि प्रभु द्वापर युग आने में अभी काफी समय है। मुझे अभी चाहिए। चंद्रमा की नाराजी दूर करने के लिए प्रभु श्रीराम ने कहा कि मेरे नाम के आगे तुम्हारा नाम लगेगा। इस प्रकार राम के साथ चन्द्र जुड़ने से प्रभु का नाम रामचन्द्र हो गया।
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*राम के चारों भाइयों की सुंदर झाँकी*
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श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की सुंदर झाँकी निकाली गई। जिसे श्रद्धालुओं ने खूब पसंद किया। रामकथा सुनने श्रद्धालुओं का खूब भीड़ जुट रही है।
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श्रीराम कथा 23 दिसंबर तक दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक जबकि अंतिम दिन 24 दिसंबर को सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक श्रीराम कथा होगा। उसके बाद उसी दिन 1 बजे से भव्य महाप्रसाद का आयोजन होगा।( फोटो
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