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*चंद्रपूर *
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चंद्रपुर /दुर्गापुर- लखमापुर हनुमान मंदिर में हो रहा श्रीराम कथा का मंगलवार को चौथा दिन था। कथाकार नरेशभाई राज्यगुरु ने अपनी मधुर वाणी से बताया कि भगवान राम कहते हैं कि मैं हनुमान की ऋण से मुक्त नहीं हो सकता हूँ। एक भक्ति के साथ दोस्ती कर लो बाकी के सभी भक्ति स्वयं प्राप्त हो जाएगा। महाराज उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जिसप्रकार एक युवती की शादी उसके पति से होता है, लेकिन इसके साथ ही सास, ससुर, ननद, नंदोई, देवर सहित अनेकों रिश्तेदार स्वतः एक साथ जुड़ जाता है। उसीप्रकार एक भक्ति से बाकी भक्ति भी प्राप्त हो जाता है।
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राजनीति में धर्म होनी चाहिए परन्तु धर्म मे राजनीति कतई नहीं होनी चाहिए। पद का अहंकार नहीं होनी चाहिए। संपत्ति आने पर भगवान से संमत्ती मांगों। कथाकार राज्यगुरु ने कहा कि भजन तन,मन और धन से होना चाहिए। तन का स्वच्छ स्नान करने से हो जाता है। स्वभाव से मन हो जाता है। धन का दान करों, संपत्ति का सदुपयोग करों।
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पर्वत की पुत्री इसलिये उनका नाम पार्वती रखा गया। आँसूओं का वेदना, वंदना और विरह तीन प्रकार के होते हैं। जो संसार को वास्तविकता से अवगत कराएं उसे नारद कहते हैं। जिनकी बात रद्द नहीं होती उसे भी नारद कहते हैं।
नौ प्रकार की भक्ति होता है। श्रवण, स्मरण, पादसेवन, अर्चण, वंदन, दास्य, सख्य, आत्मनिवेदन इसे नवधा भक्ति कहते हैं। सबको अपना बनाये वह है बेटी। अंजान घर में बेटी शादी कर के जाती है और सबको अपना बना लेती हैं। पाप को प्रकट करो जबकि पुण्य को गुप्त रखो।
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रामावतार के कई कारण
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कथाकार राज्यगुरु महाराज ने कहा कि रामजन्म का कई कारण है। भगवान नारायण के पार्षद जय विजय द्वारा सनत का अपमान के बाद दिए गए श्राप के कारण राम का अवतार हुआ। दूसरा कारण- महर्षि😢 नारद मुनि का कामदेव पर विजय प्राप्ति से हुए अहंकार को दूर करने के लिए मायानगरी का निर्माण होना है। मायानगरी के मनमोहनी से शादी करने के लिए नारद ने भगवान विष्णु से उनका रूप की मांग की। विष्णु ने अपना सुंदर रूप देने के बजाय बंदर के रूप दे दिया। जब नारद मुनि को पता चला तो ग़ुस्से में आकर भगवान विष्णु को श्राप दे दिया कि पृथ्वी लोक में जन्म लेना होगा। नारी के वियोग में तड़पना पड़ेगा और जो रूप मुझे बन्दर का दिये हैं, वही बंदर आपको सहायता करेगा।
तीसरा कारण- मनु और शतरूपा के तपस्या से खुश होकर भगवान विष्णु ने वर मांगने के लिये कहा। शतरूपा ने भगवान से उनके जैसा पुत्र का वरदान मांगा। इन्हीं सभी के कारण भगवान विष्णु ने अयोध्या में राजा दशरथ और कौशल्या के घर में श्रीराम का जन्म हुआ।
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महादेव ने अपनी शादी में हल्दी की जगह भस्म लगाया। पूछने पर महादेव ने बताया कि यह अहसास होना चाहिए कि हम नश्वर है। शादी में घोड़े की जगह नंदी की सवारी करने पर देवो का देव महादेव ने बताया कि अश्व अभिमान के प्रतीक है जबकि नंदी धर्म के प्रतीक होते हैं।
चार आश्रम होते हैं। ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, संन्यास और वानप्रस्थ में संबसे सर्वश्रेष्ठ गृहस्थ आश्रम होता है।
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दशरथ, कौशल्या, श्रीराम की झांकी
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दशरथ, कौशल्या और श्रीराम की सुंदर झांकी निकाली गई। जिन्हें दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ सी लग गई। इस अवसर पर दो दर्जनों युवतियों व बच्चीयों ने एक खास वेश भूषा में विशेष आरती उतारी। सुंदर नृत्य की। कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं पहुंच रहे हैं।
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श्रीराम कथा 23 दिसंबर तक दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक चलेगा जबकि अंतिम दिन 24 दिसंबर को सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक श्रीराम कथा होगा। उसके बाद उसी दिन 1 बजे से भव्य महाप्रसाद का आयोजन होगा।
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