*माँ पिता की करें सेवा और गुरुओं से प्राप्त करें शिक्षा*

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*राम लक्ष्मण सीता की निकली झाँकी*

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चंद्रपुर /दुर्गापुर- श्रीलखमापुर हनुमान मंदिर सेवा समिति तथा श्रीजलाराम सेवा मंडल चंद्रपुर के संयुक्त तत्वावधान में श्रीलखमापुर मंदिर में हो रहा श्रीराम कथा का गुरुवार को छठवाँ दिन था। कथाकार नरेशभाई राज्यगुरु ने कहा कि श्रीराम जगतपालन थे। फिर भी उन्होंने गुरुकुल जाकर शिक्षा लेने इसलिए गए ताकि दुनिया को संदेश दिया जा सके कि सभी को शिक्षा लेना चाहिए। आदमियों को अपने बड़े बुजुर्गों को दंडवत प्रणाम करना चाहिए जबकि महिलाओं को पंचम प्रणाम करना चाहिए। वंदन करने से विद्या में निपुणता आती है। बच्चों का यश बढ़ता है। बल बढ़ता है।
राज्यगुरु महाराज ने कहा कि घर में माँ जगदंबा और पिता भगवान के रूप में होते हैं। अतिथि भगवान के समान होते हैं। बेटों – बेटियों को माँ – पिता की सेवा करनी चाहिए। पुराने दिनों को याद करते रहने से
अहंकार नहीं आता है। राज्यगुरु ने कहा कि भगवान को भी धरती पर आने के लिए माँ की जरूरत पड़ती है।
मुक्ति 5 प्रकार
सालोक्य, सारष्टि, सारूप्य, सामीप्य और सायुज्य उक्त मुक्ति के 5 प्रकार होते हैं। जो यज्ञ अनुष्ठान नहीं कर सकते, जंगल में जाकर तप नहीं कर सकते, उन लोंगो को भगवान के नाम लेने और कथा सुनने से मुक्ति मिलना संभव है। राज्यगुरु ने राम कथा सुनाते हुये कहा कि असुरों को संहार करने के लिये महर्षि विश्वामित्र अयोध्या पहुँचकर अवधेश से राम – लक्ष्मण की मांग करते हैं। इस पर अयोध्या नरेश कहते है कि धन दौलत सहित और बहुत कुछ ले लीजिए परन्तु हमारे दोनों बालक को मत मांगिए। गुरु वशिष्ठ के समझाने के बाद राजा दशरथ ने राम-लक्ष्मण को महर्षि विश्वामित्र के साथ जाने देते हैं।

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प्रभु राम ने राक्षसी प्रवृति के ताड़का का उद्धार करते हैं। सुबाहु को वध करते हैं और मारीच को ऐसा मारते है कि वह 100 योजन दूर जाकर गिरता है। महर्षि विश्वामित्र यज्ञ पूरा कर जनकपुर के लिए रवाना होते हैं। रास्ते में अपने पति से शापित के कारण शिला बने अहिल्या को प्रभु राम उद्धार करते हैं। राज्यगुरु महाराज कहते हैं कि कभी कभार श्राप भी वरदान बन जाता है।

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तीर्थ पर गए तो तीन चीज़ अवश्य करना चाहिए। तीर्थों का महिमा जानना चाहिए। स्नान कर के तन की पवित्रता कर लेनी चाहिए और तीसरा दान पुण्य करना चाहिए। राज्यगुरु कहते है कि तीन पीढ़ियों तक तपस्या करने पर गंगा धरती पर आईं हैं। गंगा जी के पास तीन कार्य करना चाहिए। पहला अर्पण समाज के लिए, दूसरा तर्पण पूर्वजों के लिए जबकि तीसरा समर्पण भगवान के लिए करना चाहिए।

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कथाकार राज्यगुरु कहते है कि गुरु आज्ञा लेकर राम लक्ष्मण जब जनकपुर के गलियों में जाते हैं तो अपने घर का दरवाजे खुले छोड़कर लोंग देखने निकल जाते हैं। दूसरे दिन राम लक्ष्मण फूल तोड़ने बगीचे जाते हैं तब वाटिका में जनकनंदिनी से राम की ऐसी आंखें मिली कि सूझ बूझ खो दिए।

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कथाकार बताते है कि भक्ति करने वालों को पहले अहंकार छोड़ना होगा। आगे कहते हैं कि कन्यादान सबसे बड़ा दान है। विवाह के समय एक मंत्र से गोत्र बदल जाता है।

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*राम लक्ष्मण सीता की सुंदर झाँकी*

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राम सीता विवाह के शुभ अवसर पर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता की सुंदर झाँकी निकाली गई। इस अवसर पर विवाह गीत का सुंदर गायन हुआ, विशेष भेष भूषा में महिलायें सुंदर नृत्य की। जिसे श्रद्धालुओं ने खूब पसंद किया। रामकथा सुनने श्रद्धालुओं का खूब भीड़ जुट रही है।

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श्रीराम कथा 23 दिसंबर तक दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक जबकि अंतिम दिन 24 दिसंबर को सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक श्रीराम कथा होगा। उसके बाद उसी दिन 1 बजे से भव्य महाप्रसाद का आयोजन होगा।

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*”हँलो चांदा न्यूज “, करिता जिल्हा प्रतिनिधी, राजूरा गढ़ चांदूर तालुका प्रतिनिधींची नियुक्ती करणे आहे. इच्छुक प्रतिनिधीने संपर्क साधावा.*

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संपादक :- शशि ठक्कर , 9881277793
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